एक गाँव ऐसा भी जीसे खामोश गाँव भी कहा जाता है

Source By TNN Local
एक गाँव ऐसा भी जीसे खामोश गाँव भी कहा जाता है ॥।
ये गाँव इस नए आधुनिक भारत जम्मू कश्मीर के डोडा जिले की गंधोह तहसील मैं बसता है नाम धड़काई ॥।
इस पूरे विश्व मैं साइलन्ट विलेज ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है ।
अभी हाल ही महावीर इंटरकांटिनेंटल सर्विस आर्गेनाइजेशन से अंतर्राष्ट्रीय महासचिव श्री लोकेश कावड़िया ओर ट्राइबल न्यूज नेटवर्क की ओर से राजकुमार गोस्वामी नैशनल टेक्निकल हेड द्वारा इस गाँव मैं अपनी विज़िट की ओर ओर वहा के मूक बघिरओ से मुलाकात की ओर उनके हाल जाने ।
जम्मू से करीब 220 किलोमीटर दूर स्थित धड़कई गांव तब चर्चा में आया जब देखा गया कि यहां कई लोग जन्म से ही सुनने और बोलने की अक्षमता के साथ पैदा होते हैं और यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, मूक-बधिर का पहला मामला 1901 में पाया गया था और यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में फैलता गया। वर्तमान में दो पंचायतों धड़कई-ए और धड़कई-बी में 82 मूक-बधिर लोग रहते हैं जबकि कुछ साल पहले यह संख्या बढ़कर 98 हो गई थी। इन दोनों पंचायतों की जनसंख्या लगभग 2000 है।
जब से यह गांव सुर्खियों में आया है, तब से सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों सहित कई संगठनों ने विशेष आबादी के लिए कई पैकेजों की घोषणा की है, जिनमें से कुछ वादे तो पूरे हुए, जैसे आनुवंशिक परीक्षण, तथा कई वादे केवल दिखावटी वादे तक ही सीमित रह गए।