कोई भी पात्र आदिवासी वनवासी पट्टे से वंचित न रहें

आदिवासी वनवासियों के वनाधिकार दावों को निरस्त की समीक्षा .कोई भी पात्र आदिवासी वनवासी बंधन से वंचित न रहें
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- आदिवासी सीधे-साधे होते हैं, उनके दावों को अपात्र बताकर निरस्त करना अनुचित है। मुख्यमंत्री ने निरस्त किए गए पट्टों की 7 दिन में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा। कलेक्टर और डीएफओ सुन लें, कोई पात्र वनवासी बंधन से वंचित न रहें . मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कहा कि अधिकारी माइडंसेट बना लें, गरीब के अधिकारों को मैं छीनने नहीं दूंगा। कलेक्टर एवं वनमंडल अधिकारीरी (डीएफओ) ध्यान से सुन लें, कोई भी वनवासी, जो 31 दिसंबर 2005 को या उससे पहले से भूमि पर काबिज है, उसे अनिवार्य रूप से भूमि में मिल जाए। कोई पात्र वनवासी बंधन से वंचित न रहा। काम में थोड़ी बहुत लापरवाही की, तो सख्त कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में 3 लाख 58 हजार 339 वनवासियों के वनाधिकार दावों को निरस्त किया जाना दर्शाता है कि अधिकारियों ने कार्य को गंभीरता से लिया ही नहीं है। वनवासी समाज का ऐसा वर्ग है जो अपनी बात
ढ़ंग से बता भी नहीं पाता, ऐसे में उनसे पट्टों के साक्ष्य मांगना और उसके आधार पर पट्टों को निरस्त करना नितांत अनुचित है। सभी कलेक्टर और डीएफओ सभी प्रकरणों का पुनरीक्षण करें और एक सप्ताह में रिपोर्ट दें। वनवासियों को कर्ज देना ही है।
राजस्व भूमि पर काबिज हों तो उसकी सीमा दें .वना प्राधिकरण दावों की समीक्षा में यह तथ्य सामने आया कि बहुत से ऐसे प्रकरण हैं जिनमें आदिवासी राजस्व भूमि पर काबिज है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुख्य सचिव श्री बैंस को निर्देश दिया कि परीक्षण कराकर ऐसी वनवासियों को राजस्व भूमि के चक्र प्रदान किए जाएं।